क्या आपने कभी ऐसा सुना है –
"अरे भाई, इस कंपनी का शेयर ले ले, अगले महीने डबल हो जाएगा!"
"इस स्टॉक में पैसा लगाओ, मेरी गारंटी है, ये उड़ान भरेगा!"
अगर हां, तो रुको! बिना रिसर्च के पैसा लगाने का मतलब बिना पैराशूट के आसमान में उड़ाते हुए जहाज से कूदने जैसा है ! आप खुद सोचिए – क्या कोई समझदार इंसान अपनी मेहनत की कमाई बिना सोचे समझे इस तरह दांव पर लगाएगा कि वह रोडपति बन जाए ? नहीं न! तो अगर आप सही और प्रॉफिटेबल निवेशक बनना चाहते हैं, तो खुद रिसर्च करना सीखिए! और इसके लिए मैं आपको सबसे बेहतरीन उपाय इस लेख के माध्यम से बताने जा रहा हूँ। अगर आप इस लेख को ढंग से अंत तक पढ़ लिए तो मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि आप स्वयं को एक अच्छे निवेशक के रूप में निखार लेंगे। इसके लिए Screener.in आपकी सबसे बड़ी ताकत हो सकती है। यह फ्री टूल आपकी रिसर्च को आसान बना सकता है, बस इसे सही तरीके से इस्तेमाल करना आना चाहिए! तो आइये देखते हैं कि Step-by-Step Guide: Screener.in पर स्टॉक को कैसे एनालाइज़ करें?
1. Screener.in पर स्टॉक को सर्च करें और कंपनी की बेसिक जानकारी देखें
किसी भी इंटरनेट ब्राउज़र को खोलकर सबसे पहले Screener.in पर जाएं।जब वेबसाइट ओपन हो जाय तो जिस स्टॉक का रिसर्च करना चाहते हैं, उसका नाम (जैसे TCS, RELIANCE, HDFC BANK) सर्च बार में टाइप करें। अब कंपनी का डैशबोर्ड खुलेगा, जहां आपको आपके द्वारा चुनी गयी कंपनी का सारा ब्यौरा जैसे कि मार्केट कैप, प्राइस, सेक्टर, PE Ratio, और प्रमोटर होल्डिंग जैसी बेसिक जानकारी दिखेगी। यहाँ पर पहली झलक में ध्यान देने वाली चीजें जो हैं उनमे से सबसे पहले आप Market Cap को चेक करें कि कंपनी बड़ी है या छोटी। उसके बाद आपको कंपनी के शेयर का current प्राइस के बारे में जानकारी मिल जाएगी। पुनः कंपनी का P/E Ratio चेक कर लीजिये कि क्या यह ओवरवैल्यूड है? (अगर सेक्टर एवरेज से ज्यादा है, तो महंगा हो सकता है), अब कंपनी का बुक वैल्यू चेक कर लीजिये कि कम है या ज्यादा। अब आगे आपको कंपनी का बुक वैल्यू मिलेगा उसे देख लीजिये की कम है या ज्यादा। साथ ही कंपनी का ROCE, ROE और फेस वैल्यू भी चेक कर लीजिए।
2. Screener.in पर स्टॉक के चार्ट का विश्लेषण करें
अब आपके लिए दूसरे स्टेप की शुरुआत होती है जो कि चार्ट के रूप में उपलब्ध होता है। इस चार्ट में कंपनी के लिस्टिंग से लेकर Current तक की जानकारी मिलती है। यहाँ पर आपको स्टॉक के पास्ट परफॉर्मेंस के बारे में जानकारी मिल जाएगी जो कि अति महत्वपूर्ण होता है। इससे आपको स्टॉक के नेचर के बारे में पता चलता है। अगर चार्ट बाएं नीचे से दाएं ऊपर की तरफ 15-45% की कोण बनता दिख रहा है तो यह आपके लिए शुभ संकेत है कि सिलेक्टेड स्टॉक में लॉन्ग टर्म में निश्चित ही इनकम होगी।
3. Screener.in पर सेक्टर के अन्य कंपनियों से तुलना करें
अब तीसरे स्टेप की बारी आती है जहाँ पर आप अपने स्टॉक का Peer Comparison कर सकते हैं। यहाँ पर आप उसी सेक्टर में कार्यरत अन्य कंपनियों से डीप में तुलना कर सकते हैं। यहाँ पर अन्य कंपनियों का भी विस्तृत जानकारी उपलब्ध रहती है। आप अपने सिलेक्टेड स्टॉक की अन्य स्टॉक से A to Z तुलनात्मक अध्धयन कर सकते हैं।
4. Screener.in पर कंपनी के फाइनेंशियल्स को गहराई से समझें
चौथे स्टेप Quarterly Result में आपको स्टॉक के बारे में सबसे महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है। आप जिस चीज के लिए मार्किट में एंट्री लेते है वह सारी जानकारियां यहीं से मिलती है। यहाँ पर कंपनी के लिए सारा Financially डाटा Quarterly रिजल्ट के रूप में उपलब्ध रहता है जो कि स्टॉक का डीएनए टेस्ट होता है । इसी के माध्यम से कंपनी के Revenue, Profit, और Net Worth आदि की जानकारी मिल जाती है । एक अच्छी कंपनी की पहचान यह है कि उसके रेवेन्यू और प्रॉफिट में लगातार ग्रोथ हो रही हो।
यहाँ पर आप किन चीजों को देखें?
- कंपनी का तिमाही बिक्री कैसी है, घटते क्रम में है या बढ़ते क्रम में।
- कंपनी का तिमाही खर्चे कैसी है, घटते क्रम में है या बढ़ते क्रम में।
- कंपनी का तिमाही Operating प्रॉफिट कैसी है, घटते क्रम में है या बढ़ते क्रम में।
- कंपनी का तिमाही नेट प्रॉफिट कैसी है, घटते क्रम में है या बढ़ते क्रम में।
- कंपनी का तिमाही ईपीएस कैसी है, घटते क्रम में है या बढ़ते क्रम में।
5. Screener.in पर कंपनी का Profit & Loss देखें
जब हम किसी कंपनी में निवेश करते हैं, तो सबसे बड़ा सवाल होता है – "क्या यह कंपनी सच में मुनाफा कमा रही है?" यही सवाल तय करता है कि आपका निवेश उड़ान भरेगा या डूब जाएगा! और इसका सबसे सटीक जवाब आपको Profit & Loss Statement से मिलता है। पांचवें स्टेप में आपको कंपनी के लाभ-हानि (P&L) का पूरा लेखा-जोखा मिलता है। यहीं पर असली सच्चाई छिपी होती है!
कंपनी के Profit & Loss को क्यों समझना ज़रूरी है?
- अगर मुनाफा बढ़ रहा है, तो यह निवेश के लिए हरी झंडी है!
- अगर मुनाफा घट रहा है, तो यह खतरे की घंटी है!
- अगर कंपनी लगातार घाटे में है, तो आपका पैसा डूब सकता है!
जब आप किसी कंपनी का P&L स्टेटमेंट देखते हैं, तो यह दिखाता है कि कंपनी साल-दर-साल कितना लाभ कमा रही है। अगर पिछले 5-10 सालों में कंपनी का Revenue और Net Profit लगातार बढ़ा है, तो यह एक अच्छा संकेत है। लेकिन अगर मुनाफा गिर रहा है या कंपनी घाटे में जा रही है, तो यह एक खतरनाक संकेत हो सकता है!
कैसे पहचानें कि कंपनी मुनाफे में है या घाटे में?
✅ Revenue (आय) लगातार बढ़ रही है – अच्छी बात!
✅ Net Profit हर साल बढ़ रहा है – मजबूत कंपनी!
✅ Profit Margin अच्छा है – कुशल प्रबंधन!
❌ लाभ गिर रहा है – खतरे का संकेत!
❌ Net Profit बार-बार घट रहा है – घाटे में जा सकती है!
💡 ध्यान रखें: सिर्फ एक-दो साल की रिपोर्ट देखकर फैसला न करें। 5 से 10 साल के डेटा को ध्यान से देखें।
6. कंपनी की Balance Sheet को देखकर असली सेहत को समझें
जब आप किसी कंपनी में निवेश करने की सोच रहे होते हैं, तो सिर्फ उसके मुनाफे (Profit & Loss) को देखना काफी नहीं होता। कंपनी की असली ताकत उसकी बैलेंस शीट में छिपी होती है! जरा सोचिए! अगर कोई कंपनी आज मुनाफा कमा रही है लेकिन उस पर बहुत ज्यादा कर्ज़ है, तो क्या वो लंबे समय तक टिक पाएगी? शायद नहीं! इसलिए, निवेश करने से पहले Balance Sheet को पढ़ना जरूरी है। यह आपको बताती है कि कंपनी वित्तीय रूप से कितनी मजबूत है।
Balance Sheet को क्यों देखना चाहिए?
- कंपनी के पास कितना कैश (Cash Reserves) है?
- कंपनी पर कितना कर्ज़ (Debt) है?
- Total Assets (कुल संपत्ति) और Liabilities (कुल देनदारियां) का संतुलन कैसा है?
- कंपनी अपने फंड्स का सही इस्तेमाल कर रही है या नहीं?
अगर किसी कंपनी की बैलेंस शीट मजबूत है, तो इसका मतलब है कि वह भविष्य में भी अच्छा प्रदर्शन कर सकती है। लेकिन अगर बैलेंस शीट कमज़ोर है, तो यह खतरे का संकेत है!
7. Cash Flow Statement – कंपनी की असली कमाई चेक करें
- Operating Cash Flow (मुख्य व्यवसाय से कैश फ्लो): यह सबसे ज़रूरी हिस्सा होता है! अगर Operating Cash Flow पॉजिटिव है, तो इसका मतलब कंपनी अपने मुख्य बिजनेस से अच्छा पैसा कमा रही है। अगर यह नेगेटिव है, तो कंपनी को रोज़मर्रा के खर्चों के लिए उधारी लेनी पड़ रही है जो कि खतरे की घंटी है !
- Investing Cash Flow (निवेश से कैश फ्लो): यह दिखाता है कि कंपनी अपने पैसों को कहां और कैसे निवेश कर रही है। अगर कंपनी नए प्लांट, मशीनरी या टेक्नोलॉजी में निवेश कर रही है, तो यह एक अच्छा संकेत हो सकता है। लेकिन अगर कंपनी सिर्फ असुरक्षित निवेश कर रही है, तो यह चिंता की बात है!
- Financing Cash Flow (वित्तीय गतिविधियों से कैश फ्लो): यह दिखाता है कि कंपनी ने बैंक से कितना कर्ज़ लिया या चुकाया है। अगर कंपनी लगातार कर्ज़ ले रही है और उसे चुकाने में दिक्कत हो रही है, तो इससे दूर रहना बेहतर है!
8. Ratios – कंपनी के असली फाइनेंशियल DNA को जांचें
शेयर बाजार में निवेश करने से पहले "सिर्फ नाम नहीं, काम देखना जरूरी है!" लेकिन सवाल ये है कि हम किसी कंपनी की वित्तीय स्थिति (Financial Health) को कैसे समझें? क्या सिर्फ मुनाफा देखना ही काफी है? बिल्कुल नहीं! इसके लिए हमें कंपनी के फाइनेंशियल रेशियो (Ratios) को परखना होगा।
- Debtor Days – यह बताता है कि कंपनी अपने ग्राहकों से उधारी का पैसा कितने दिनों में वसूल करती है। कम Debtor Days बेहतर होते हैं, क्योंकि इसका मतलब है कि कंपनी जल्दी पैसा वसूल कर रही है। अगर Debtor Days ज्यादा हैं, तो कंपनी का पैसा ज्यादा समय तक अटका रहता है, जो खतरे की घंटी हो सकती है।
- Inventory Days – यह बताता है कि कंपनी अपने प्रोडक्ट्स को कितने दिनों में बेच पाती है। कम Inventory Days बेहतर होते हैं, क्योंकि इसका मतलब है कि कंपनी का प्रोडक्ट तेजी से बिक रहा है। अगर यह ज्यादा है, तो इसका मतलब है कि कंपनी का स्टॉक गोदाम में पड़ा हुआ है और सेल्स कमजोर हो रही है।
- Days Payable – यह बताता है कि कंपनी अपने सप्लायर को भुगतान करने में कितना समय लेती है। अगर Days Payable ज्यादा हैं, तो कंपनी अपने कैश को होल्ड करके बेहतर फाइनेंशियल मैनेजमेंट कर सकती है। अगर यह बहुत ज्यादा है, तो इसका मतलब हो सकता है कि कंपनी की वित्तीय स्थिति कमजोर है और यह सप्लायर को समय पर भुगतान नहीं कर पा रही।
- Cash Conversion Cycle (CCC) – यह बताता है कि कंपनी कच्चे माल को प्रोडक्ट में बदलकर, बेचकर और फिर पैसा वसूल कर, पूरे प्रोसेस को पूरा करने में कितना समय लेती है। कम CCC बेहतर होता है, क्योंकि इसका मतलब है कि कंपनी तेजी से पैसा बना रही है। अगर CCC ज्यादा है, तो इसका मतलब है कि कंपनी का पैसा बिजनेस में फंसा हुआ है, जो चिंता की बात हो सकती है।
- Working Capital Days – यह बताता है कि कंपनी कितनी जल्दी अपने शॉर्ट-टर्म खर्चों को कवर कर पाती है। कम Working Capital Days अच्छे माने जाते हैं, क्योंकि इससे कंपनी को अपने रोजमर्रा के खर्चों को चलाने में आसानी होती है। अगर यह ज्यादा है, तो कंपनी को बिजनेस चलाने के लिए ज्यादा फंड्स की जरूरत होगी।
- ROCE % – यह बताता है कि कंपनी अपनी कुल पूंजी से कितना रिटर्न कमा रही है। अगर ROCE 15% से ऊपर है, तो यह एक मजबूत कंपनी का संकेत है। अगर यह लगातार गिर रहा है, तो कंपनी की फाइनेंशियल हेल्थ खराब हो रही है।
9. Shareholding Pattern देखें – कंपनी में असली मालिक कौन है?
शेयर बाजार में सिर्फ कीमत देखकर निवेश करना समझदारी नहीं है! अगर आप किसी कंपनी के शेयर खरीद रहे हैं, तो आपको ये जरूर देखना चाहिए कि उस कंपनी में किसका कितना हिस्सा (Ownership) है? क्योंकि, अगर प्रमोटर्स खुद अपनी कंपनी पर भरोसा नहीं करते, तो भाई आप कैसे कर सकते हैं ?
- Promoters Holding – किसी भी कंपनी के असली मालिक इसके प्रमोटर्स ही होते हैं। अगर प्रमोटर्स के पास कंपनी के ज्यादा शेयर हैं, तो इसका मतलब है कि उन्हें अपने बिज़नेस पर भरोसा है। अगर प्रमोटर होल्डिंग 50% से ज्यादा है, तो यह मजबूत कंपनी का संकेत है। अगर प्रमोटर होल्डिंग लगातार घट रही है, तो सतर्क हो जाएं!
- FII & DII Holding – FII (Foreign Institutional Investors) यानी विदेशी निवेशक और DII (Domestic Institutional Investors) यानी देश के बड़े निवेशक (म्यूचुअल फंड्स, बैंक) किसी भी कंपनी में तभी निवेश करते हैं जब उन्हें ग्रोथ की उम्मीद होती है। अगर FII और DII की होल्डिंग बढ़ रही है, तो यह अच्छे संकेत हैं। अगर वे अपने शेयर बेच रहे हैं, तो हो सकता है कि कंपनी में कोई दिक्कत हो।
- Public Holding – क्या रिटेल निवेशक फंसे हुए हैं? Public Holding यानी आम निवेशकों (जैसे हम और आप) के पास कितने शेयर हैं। अगर पब्लिक होल्डिंग कम है, तो यह अच्छा संकेत हो सकता है, क्योंकि इसका मतलब है कि कंपनी के शेयर मजबूत हाथों में हैं। अगर पब्लिक होल्डिंग बहुत ज्यादा है और प्रमोटर्स व FII/DII ने हिस्सेदारी घटाई है, तो यह चिंता का विषय हो सकता है।
- Pledge Shares – क्या प्रमोटर्स ने अपने शेयर गिरवी रखे हैं? Pledged Shares यानी जब प्रमोटर्स अपने शेयर बैंक या किसी अन्य संस्था के पास गिरवी रखते हैं, ताकि लोन ले सकें। अगर Pledged Shares 0% हैं, तो कंपनी अच्छी स्थिति में है। अगर प्रमोटर्स ने अपने शेयर ज्यादा गिरवी रखे हैं, तो यह खतरे की घंटी हो सकती है।
निष्कर्ष: कभी भी बिना रिसर्च के स्टॉक न खरीदें
आपको बता दें कि स्टॉक मार्केट कोई जुआ नहीं है, बल्कि यह धैर्य, समझदारी और रिसर्च का खेल है। अगर बिना सोचे-समझे किसी स्टॉक में पैसा लगा दिया, तो मुनाफे से ज्यादा नुकसान का खतरा बना रहेगा। लेकिन अगर सही जानकारी और गहरी रिसर्च के साथ निवेश किया जाए, तो यह आपकी संपत्ति बनाने का सबसे बेहतरीन जरिया बन सकता है। इसके लिए आपको स्टेप बाई स्टेप विस्तार से इस लेख में समझाया गया है। हमेशा ध्यान रखें: भेड़चाल से बचें और खुद की रिसर्च करें। अगर आप इन स्टेप्स को फॉलो करेंगे, तो आपका पैसा सिर्फ सपनों में नहीं, बल्कि हकीकत में बढ़ेगा ।
💡 तो अगली बार जब कोई कहे, "इस स्टॉक में पैसा लगा दो, ये उड़ेगा!" तो पहले Screener.in खोलो, रिसर्च करो, और खुद तय करो कि क्या वाकई इसमें निवेश करना चाहिए!
❓ Frequently Asked Questions (F&Q)
Q1. Screener.in क्या फ्री में इस्तेमाल किया जा सकता है?
Ans. हां! Screener.in फ्री टूल है, लेकिन आप इसमें कस्टम स्क्रीनर और एडवांस रिपोर्ट्स के लिए पेड वर्जन भी ले सकते हैं।
Q2. क्या सिर्फ Screener.in देखकर स्टॉक खरीदना सही रहेगा?
Ans. नहीं! Screener.in सिर्फ पहला कदम है। आपको कंपनी की मैनेजमेंट, इंडस्ट्री ट्रेंड्स और फ्यूचर ग्रोथ भी देखनी चाहिए।
Q3. स्टॉक रिसर्च के लिए कौन-कौन से इंडिकेटर सबसे जरूरी होते हैं?
Ans. Revenue Growth, Net Profit, Debt-to-Equity Ratio, Free Cash Flow, और Promoter Holding सबसे जरूरी फैक्टर्स हैं!
Q4. क्या Screener.in से मल्टीबैगर स्टॉक्स ढूंढ सकते हैं?
Ans. हां! लेकिन सिर्फ Screener.in पर निर्भर मत रहिए, बल्कि कंपनी के बिजनेस मॉडल, इंडस्ट्री ग्रोथ और इनोवेशन को भी समझिए।